लिख दिया अपने दर पे किसी ने,
इस जगह प्यार करना मना हैं,
प्यार अगर हो भी जाये किसीको,
उसका इजहार करना मना है !
उनकी महफ़िल में जब कोई जाये,
पहले नज़रों को अपनी झुकाये,
वो सनम जो खुदा बन गए हैं,
उनका दीदार करना मना हैं !
जाग उठेंगे तो आहें भरेंगे,
हुस्नवालों को रुसवा करेंगे,
सो गए हैं जो फुरकत के मारे,
उनको बेदार करना मना हैं !
हमने की अर्ज ऐ बंदा परवर,
क्यों सितम ढा रहे हो ये हम पर,
बात सुनकर हमारी वो बोले,
हमसे तकरार करना मना हैं !
सामने जो खुला है झरोखा,
खा न जाना क़ातिल कहीं उनपे धोखा,
अब भी अपने लिए उस गली में,
शौक-ऐ-दीदार करना मना हैं !
लिख दिया अपने दर पे किसी ने,
इस जगह प्यार करना मना हैं...!
इस जगह प्यार करना मना हैं,
प्यार अगर हो भी जाये किसीको,
उसका इजहार करना मना है !
उनकी महफ़िल में जब कोई जाये,
पहले नज़रों को अपनी झुकाये,
वो सनम जो खुदा बन गए हैं,
उनका दीदार करना मना हैं !
जाग उठेंगे तो आहें भरेंगे,
हुस्नवालों को रुसवा करेंगे,
सो गए हैं जो फुरकत के मारे,
उनको बेदार करना मना हैं !
हमने की अर्ज ऐ बंदा परवर,
क्यों सितम ढा रहे हो ये हम पर,
बात सुनकर हमारी वो बोले,
हमसे तकरार करना मना हैं !
सामने जो खुला है झरोखा,
खा न जाना क़ातिल कहीं उनपे धोखा,
अब भी अपने लिए उस गली में,
शौक-ऐ-दीदार करना मना हैं !
लिख दिया अपने दर पे किसी ने,
इस जगह प्यार करना मना हैं...!
नुसरत फ़तेह अली खान