रविवार, 29 नवंबर 2015

लिख दिया अपने दर पे किसी ने

लिख दिया अपने दर पे किसी ने,
इस जगह प्यार करना मना हैं,
प्यार अगर हो भी जाये किसीको,
उसका इजहार करना मना है !

उनकी महफ़िल में जब कोई जाये,
पहले नज़रों को अपनी झुकाये,
वो सनम जो खुदा बन गए हैं,
उनका दीदार करना मना हैं !

जाग उठेंगे तो आहें भरेंगे,
हुस्नवालों को रुसवा करेंगे,
सो गए हैं जो फुरकत के मारे,
उनको बेदार करना मना हैं !

हमने की अर्ज ऐ बंदा परवर,
क्यों सितम ढा रहे हो ये हम पर,
बात सुनकर हमारी वो बोले,
हमसे तकरार करना मना हैं !

सामने जो खुला है झरोखा,
खा न जाना क़ातिल कहीं उनपे धोखा,
अब भी अपने लिए उस गली में,
शौक-ऐ-दीदार करना मना हैं !

लिख दिया अपने दर पे किसी ने,
इस जगह प्यार करना मना हैं...!

नुसरत फ़तेह अली खान 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें