गुरुवार, 4 सितंबर 2014

शिक्षक और हम

 जीवन में शिक्षा और शिक्षक का जितना महत्व  होता है उतना  किसी अन्य का नही होता है। शिक्षक यहाँ इसलिए ज्यादा प्रासंगिक है क्योंकि  वह छात्र में प्रस्फुटित जिज्ञासाओं की शांति अपनी प्रदत्त शिक्षा द्वारा करता है जिसकी परिणति  ज्ञान के रूप में होती है।  शिक्षक के सम्बन्ध में अनेक प्रकार के ललित निबंध लिखे गए है पर मैं  ज्यादा विस्तार में नही जाना चाहूंगा।  मेरा एक सीधा और साधारण सा मत है कि  शिक्षक ऐसा होना चाहिए जो "क्लास की आखिरी बेंच पर बैठे छात्र में जोश भर दे, पढ़ने का जूनून पैदा कर दे।"  आधुनिक शिक्षा प्रणाली में छात्रों पर किसी एक शिक्षक का  प्रभाव नही होता है वरन भिन्न-२ प्रकार के भिन्न-२ व्यक्तित्व वाले शिक्षको का योगदान होता है।  इनमे कई ऐसे भी होते है जिनका चेहरा भले न याद हो परन्तु उनके हाथ की छड़ी जरूर याद रहती है।   अतः हम यह भी कह सकते हैं  कि हमारे जीवन में शिक्षकों  के अलावा अनेक प्रकार के यंत्रो का भी योगदान रहता है जैसे कि छड़ी, बेंत, फट्टा इत्यादि।  इनके अलावा कई प्रकार के आसनों का भी हमारे जीवन की सफलता में बहुत अधिक योगदान रहता है जिनमे "मुर्गासन" तथा "बेंच पर खड़े होना" सर्वाधिक प्रचलित है।  हम जीवन की यात्रा में चाहे जितना सफल हो जाये परन्तु इन तथ्यों को नकार नही सकते।  मेरे जीवन में भी अनेक ऐसे शिक्षको की प्रचुरता रही है जिनके बताये आसनो से शरीर का लचीलापन अभी भी बना हुआ  है।

मेरे जीवन में आये समस्त शिक्षको को समर्पित .............



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